**हाल दिल का**
तुम मुझे देख सँवरती हो
हाल ए दिल कहते हैं।
पर,तेरे नैनों के तीर
मुझ पर ही क्यों चलते है।
तुम्हारी इस अदा के कायल है
सो,रोज घायल ही रहते है।
तुम्हें देखते रहने की तमन्ना,जो है
तो दम भी तो नहीं निकलते है।
इतना तो तय है,मगर
तुम मेरी नजर से जितना गुजरती हो,
उससे ज्यादा हम,तेरी नजर से गुजरते है।
― मानवेन्द्र कुमार
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