**संघर्ष**
***दिलोदिमाग में संघर्ष***
“न जाने क्यों उस की याद मुझे आती है
न जाने क्यों मुझे ये याद तड़पाती है
न जाने क्यों ये दिल उसकी याद दुखाती है
कोई बताये मुझसे ये बेताबी क्यों सही नही जाती है..??”
****दिल का उत्तर****
“तुम्हे प्रेम है उससे तुम्हारा दिल उससे जुडा है
तुम्हें चाहत है उसके साथ की जो याद आती है
तुम उसके एहसास को जीना चाहते हो
इसलिए तुम्हे पल पल उसकी याद तड़पाती है...”
― बंधन मुक्त काव्य
***दिलोदिमाग में संघर्ष***
“न जाने क्यों उस की याद मुझे आती है
न जाने क्यों मुझे ये याद तड़पाती है
न जाने क्यों ये दिल उसकी याद दुखाती है
कोई बताये मुझसे ये बेताबी क्यों सही नही जाती है..??”
****दिल का उत्तर****
“तुम्हे प्रेम है उससे तुम्हारा दिल उससे जुडा है
तुम्हें चाहत है उसके साथ की जो याद आती है
तुम उसके एहसास को जीना चाहते हो
इसलिए तुम्हे पल पल उसकी याद तड़पाती है...”
― बंधन मुक्त काव्य
No comments:
Post a Comment